Description
परिचय- आयुर्वेद में बताये गए 16 संस्कारों में से एक विशेष महत्व रखने वाला संस्कार स्वर्णप्राशन संस्कार है। इस आयुर्वेदिक संस्कार की आज की दृष्टि में आधुनिक टीकाकरण से तुलना की जा सकती है। अर्थात यह एक प्रकार का आयुर्वेदिक टीकाकरण या वैक्सीनेशन है। इसमे स्वर्ण एवं अन्य औषधियों के मिश्रण से तैयार एक स्वर्णबिन्दु अर्थात ड्रॉप बच्चों को पिलायी जाती है।
लाभ- 1. इसके प्रयोग से बच्चों में एकाग्रता और बौद्धिक विकास में वृद्धि होती है।
2. बच्चों के बार बार बीमार पड़ने में कमी आ जाती है अर्थात इम्युनिटी पावर बढ़ती है।
3. बच्चों का पाचन तंत्र मजबूत बनता है।
4. स्मरण शक्ति बढ़ती है और बच्चे पढ़ाई आदि में बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
5. विभिन्न प्रकार के रोगों को उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया और वायरस का प्रभाव शरीर पर नही पड़ता है।
6. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि covid 19की वैक्सीन बच्चों के लिए नही आई है ऐसे समय मे अर्थात कोरोना महामारी से सुरक्षा हेतु एक बहुत अच्छा उपाय स्वर्णप्राशन है।
समय आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार यह एक विशेष संस्कार है जिसको सिर्फ पुष्य नक्षत्र में ही कराया जाता है। अतः आप सभी न भूलें की आपको अपने बच्चे की सुरक्षा हेतु स्वर्णप्राशन अवश्य करना है ।
किनको करना चाहिए?
स्वर्ण प्राशन संस्कार जन्म से लेकर 16 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को करना चाहिए।
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